Thursday 9 July 2020

जनकवि कोदूराम "दलित" की 109 वीं जयन्ती


पुरखों की संस्कृति और परम्परा का सच्चा संवाहक "लोक" ही होता है -

5 मार्च 2019 को जनकवि कोदूराम “दलित” के जन्म-ग्राम टिकरी में वहाँ के ग्रामवासियों द्वारा उनकी 109 वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के 9 गीतकारों द्वारा काव्यांजलि समर्पित की जाएगी। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के “जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया को भी स्मरण कर काव्यांजलि समर्पित की जाएगी। दोनों जनकवियों की ग्राम टिकरी से अत्यन्त ही घनिष्ठता रही है। वे जन-जन के मन में समाए हुए हैं। 

जब कोई लोक कलाकार अपना सर्वस्व “लोक” को समर्पित कर देता है तो उसे किसी औपचारिक सम्मान की आवश्यकता नहीं रहती है। शासन उसे याद करे, न करे - “लोक” उसकी स्मृतियों को अपने हृदय में बसाए रखता है। जब “लोक” किसी प्रतिभा को अपने हृदय की धड़कन में बसा लेता है तो उस प्रतिभा में लिए इससे बड़ा कोई सम्मान नहीं हो सकता। 

जनकवि कोदूराम “दलित” और लक्ष्मण मस्तुरिया जी छत्तीसगढ़ की ऐसी ही प्रतिभाएँ हैं जो छत्तीसगढ़ के  “लोक” के हृदय पर राज करती हैं, इन्हें किसी राजाश्रय की आवश्यकता नहीं पड़ी। यही कारण है कि सन् 1967 में दिवंगत होने के 52 वर्षों के दौरान शासन की ओर से दलित जी की जयन्ती या पुण्यतिथि पर किसी प्रकार का विशेष आयोजन नहीं किया गया। अनेक साहित्यिक संस्थाएँ ही उन्हें स्मरण करने के लिए लगातार सक्रिय रही हैं। कभी सुशील यदु ने रायपुर में उनकी स्मृति में विशेष आयोजन किया तो कभी भाटापारा की “अभिव्यक्ति” संस्था ने दलित जी पर केंद्रित विशेष आयोजन किया। कभी बालोद की साहित्यिक समिति ने तो कभी शासकीय कोदूराम दलित महाविद्यालय नवागढ़ उनकी याद में समारोह आयोजित करता है तो कभी ग्राम टिकरी का बुद्धविहार उन्हें याद करता है . कभी संगवारी हमर गाँव के - वाट्सएप समूह(टिकरी-अर्जुन्दा) आयोजन करता है तो कभी  ग्राम टिकरी के ग्रामवासी उनकी जयंती या पुण्यतिथि पर आयोजन कर लेते हैं। 

कुछ ऐसा ही जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया के लिए भी देखने में आ रहा है। 03 नवंबर 2018 को उनके दिवंगत होने के उपरान्त शासन की ओर से उनकी स्मृति में किसी विशेष आयोजन की जानकारी अभी तक नहीं मिली है हालाँकि कुछ अन्य आयोजनों में मस्तुरिया जी को याद जरूर किया गया है। छन्द के छ परिवार ने जांजगीर में शील साहित्य परिषद के साथ एक राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया था जिसमें छत्तीसगढ़ के लगभग 18 जिलों के साहित्यकारों ने उपस्थित होकर मस्तुरिया जी को भावांजलि समर्पित की थी। कवर्धा, बालोद और कुछ अन्य स्थानों के साहित्यकारों ने भी लक्ष्मण मस्तुरिया की स्मृति में विशेष आयोजन किये। दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति दुर्ग ने शब्दांजली सह स्वरांजलि का आयोजन किया था जिसमें लोक गायिका कविता विवेक वासनिक ने अपनी टीम के साथ विशेष रूप से उपस्थित होकर भावांजलि अर्पित की थी। अभी अभी 24 फरवरी को संस्कारधानी कलाकार सुमता समूह, राजनाँदगाँव ने मोर संग चलव… के नाम से एक भव्य आयोजन किया था जिसमें कविता विवेक वासनिक, हिमानी वासनिक, महादेव हिरवानी, प्रभु सिन्हा और राजनाँदगाँव के अनेक गायकों तथा रंगमंच के कलाकारों ने लक्ष्मण मस्तुरिया जी के गीतों पर गायन, वादन और नृत्य प्रस्तुत किया था। 

ग्राम टिकरी के ग्रामवासी 05 मार्च को दलित जी की 109 वीं जयंती के साथ ही लक्ष्मण मस्तुरिया जी को स्मरण कर रहे हैं यह इस बात का प्रमाण है कि संस्कृति का संवाहक वास्तव में लोक होता है, शासन नहीं। मैं व्यक्तिगत रूप से ग्राम टिकरी के सरपंच श्री रितेश देवांगन और उनकी पंचायत के समस्त पदाधिकारियों और समस्त टिकरी वासियों का हृदय से आभारी हूँ। मैं श्री मिथिलेश शर्मा जी का विशेष आभारी हूँ कि उन्होंने दलित जी या मस्तुरिया जी से संबंधित आयोजनों में हमेशा अपना विशेष सहयोग प्रदान किया है। मैं संगवारी हमर गाँव में के तमाम सदस्यों का आभारी हूँ जिन्होंने पूर्व में भी मेरे छन्द संग्रह "छन्द के छ" के विमोचन कार्यक्रम को मूर्त रूप प्रदान किया था और अब भी पूर्ण सहयोग कर रहे हैं। मैं उन समस्त गीतकार कवियों का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने अत्यंत व्यस्तताओं के बावजूद 05 मार्च के कवि सम्मेलन के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान की है। 

कविसम्मेलन का आयोजन 05 मार्च 2019 (मंगलवार)

समय - शाम 7.00 बजे से
स्थान - राधा-कृष्ण पीहरधाम कलामंच, टिकरी (अर्जुन्दा)
          जिला - बालोद (छत्तीसगढ़)

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)



1 comment: